समाज Headline Animator

समाज

July 27, 2013

हरा भरा गुलिस्तान अब बंजर देखा है ।



मैंने हवाओं का कुछ ऐसा असर देखा है...
 हरा भरा गुलिस्तान अब बंजरदेखा है... 
हम तो कहते गए भाई-भाई उनको...
 नजरों में उनकी मैंने बेपनाह जहर देखा है...
 न जाने क्यों नफरत सी हो गयी है मुझे उनसे...
 वतन से गद्दारी करतेमैंनेउन्हें जब से एक नजर देखा है... 
बेघर हो गए है मेरे सारे भाई खुद अपने घरों से... 
उनके घरों में अब दरिंदों का बसर मैंने देखा है..
 घर में घुसकर ही दिखा जाते है वो हैवानियत अपनी.. 
उन हैवानों का कुछ इस कदर कहर मैंने देखा है... 
रोता-बिलखता रह गया वो मासूम अपनी माँ के लिए... 
दंगों का कुछ ऐसा दर्दनाक मंजर मैंने देखा है... 
वक्त नहीं के किसी के भी पास अब औरों केलिए...
 उनका घर से ऑफिस तक का सफ़रमैंने देखा है.... 
इंसान अब बन गया है पत्थर की मूरत यारों... 
पत्थर का एक ऐसा ही आज मैंने शहर देखा है... 
फिर कांपेगी रूह उन लोगों की हमारे नाम से ही... 
उन हैवानो की आँखों में उनके कामों के अंजाम का डर मैंने देखा है...
 वक्त आएगा और चूमेगा TIRANGA फिर से इस नभ को... 
ख्वाब मैंने कुछ ऐसाशामों-सहर देखा है................. 


3 comments:

  1. Replies
    1. हैलो सरǃ टिप्पणी करने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद.................

      Delete
  2. सुन्दर रचना राज जी।

    ReplyDelete

टिप्पणी करने के लिए धन्यवाद.................

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...