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समाज

January 5, 2013

कितना बडा सवाल है, औरत की जिन्दगी


कितना बडा सवाल है, औरत  की जिन्दगी।
दूनिया में एक मिशाल है, औरत  की जिन्दगी।।
जब जिसके जी में आया, एक जख्म दे गया।
जख्मों से बुना जाल है, औरत  की जिन्दगी।।

दूनिया को इसने पाला, दूध अपना पिला के।
तूफॉ भी इसने रखा, अपने आंचल में छुपा के।।
सृष्टि के लिए ढाल है, औरत की जिन्दगी।
मॉ, बहन, पत्नी हो, या हो वो प्रेमिका।।

राधा हो, उर्मिला हो, या हो वो होलिका।।
हर हाल में बेहाल है, औरत की जिन्दगी।।
भगवान तू भी देख, यहॉ क्या हो रहा है।
औरत का जहॉ में, बुरा हाल हो रहा है।।

ऑखों में इनके आंसू, ऑचल में भरा प्यार।
मुरझाये चमन में, ला देती है बहार।।
इतना बडा कमाल है, औरत की जिन्दगी।
कितना बडा सवाल है, औरत की जिन्दगी।।


ये चित्र गूगल से साभार
नारी ही हर हाल में, छलती और जलती क्यूँ है?



नारी तुम केवल श्रद्धा हो, विश्वास रजत नभ तल में।
पीयूष श्रोत सी बहा करो, जीवन के समतल  में।।

नारी नहीं है सपना, नारी नहीं कहानी।
नारी की गोद में पलती है, दूनिया की जिन्दगानी।।



2 comments:

  1. सुन्दर प्रस्तुति!
    वरिष्ठ गणतन्त्रदिवस की अग्रिम शुभकामनाएँ और नेता जी सुभाष को नमन!

    ReplyDelete
    Replies
    1. सर जी आपको भी गणतन्त्र दिवस की अग्रिम शुभकामनायें।

      Delete

टिप्पणी करने के लिए धन्यवाद.................

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