कितना बडा सवाल है, औरत की जिन्दगी।
दूनिया में एक मिशाल है, औरत की जिन्दगी।।
जब जिसके जी में आया, एक जख्म दे गया।
जख्मों से बुना जाल है, औरत की जिन्दगी।।
दूनिया को इसने पाला, दूध अपना पिला के।
तूफॉ भी इसने रखा, अपने आंचल में छुपा के।।
सृष्टि के लिए ढाल है, औरत की जिन्दगी।
मॉ, बहन, पत्नी हो, या हो वो प्रेमिका।।
राधा हो, उर्मिला हो, या हो वो होलिका।।
हर हाल में बेहाल है, औरत की जिन्दगी।।
भगवान तू भी देख, यहॉ क्या हो रहा है।
औरत का जहॉ में, बुरा हाल हो रहा है।।
ऑखों में इनके आंसू, ऑचल में भरा प्यार।
मुरझाये चमन में, ला देती है बहार।।
इतना बडा कमाल है, औरत की जिन्दगी।
सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDeleteवरिष्ठ गणतन्त्रदिवस की अग्रिम शुभकामनाएँ और नेता जी सुभाष को नमन!
सर जी आपको भी गणतन्त्र दिवस की अग्रिम शुभकामनायें।
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