आज कल समाज में आत्महत्याओ का मामला इतना बढ गया है की आये हर दिन अखबारों में ये छपता रहता है की उसने इस कारण आत्महत्या किया तो इसने इस कारण ? आजकल आत्महत्या के मामलों में सबसे ज्यादा युवा विद्यार्थियों और युवाओ में पाई जा रही है। आजकल के युवाओ को उनके माता-पिता थोडा सा भी डांट-डपट देते है तो वो आत्महत्या करने की कोशिश करते हैं। इसलिए युवाओ के माता-पिता को चाहिए की वो अपने बच्चों को डांटने के बजे उन्हें अच्छे और प्यार से समझाने की कोशिश करें और उन्हें छोटी-छोटी बातों पर न डांटे। जिससे उन्हें लगे की आप उनसे सचमुच में प्यार करते हैं। अगर बच्चों की बातों को पहले से ही शेयर न किया जाय तो वो कुंठित हो जाते है, अकेलापन महसूस करने लगते है जिसके कारण वो ये समझने लगते है की उनसे कोई प्यार नहीं करता और वो आगे चलने पर बिगड़ जाते है और गलत रास्ते अपना लेते हैं। इसीलिए बच्चों के माता-पिता व गुरुजनों को चाहिए की चाहे वो छोटा हो या बड़ा हर वर्ग के बच्चों की बातों को शेयर करें और ये जानने की कोशिश करें की वो भविष्य में क्या करना चाहता है और उस अनुसार उसकी सहायता करनी चाहिए तथा उसके हौसले को बढ़ाना चाहिए की इस दुनिया में ऐसा कोई भी कार्य नहीं जो वो कर न सके इससे उसका आत्मशक्ति बढेगा और उसे ये आभास हो जायेगे की वो अकेला नहीं बल्कि उसके साथ उसके माता-पिता व गुरुजन भी उसके साथ-साथ जिन्दगी के हर मोड़ पर एक अच्छे दोस्त व मार्गदस्तक के रूप में उसके साथ है। जिससे वो निर्भीक हो अपनी बातों को अपने माता-पिता व गुरुजनों के सामने रखता है। युवाओ के आत्महत्या में ज्यादातर हाथ पिता का होता है क्योकि वो उनकी बातों को अनसुना कर उन्हें डांट-डपट कर चुप करा देते है। ऐसा नहीं है की इसमें सिर्फ माता-पिता का दोष है बल्कि इसमें युवाओं का भी दोष है क्योकि वो अपने माता-पिता की बातों को समझने की कोशिश नहीं करता। आत्महत्या करने वाले ये नहीं समझते की उसके शरीर पर सिर्फ उसका अधिकार नहीं बल्कि उसपर कई लोगो का भी अधिकार है। जिसमे सबसे पहला अधिकार '' माँ '' का होता है जो उसे ९ माह अपने कोख में रके उसका वजन ढोती रही, दूसरा अधिकार पिता का होता है जो उसका लालन-पालन करता है, तीसरा अधिकार भाई-बहन का होता है और चौथा उसका जो जीवनभर उसका साथ निभाने वाला है अर्थात उसकी पत्नी का।
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