मैंने ये लाइनें एक किताब में पढ़ी थी जो आज मैं आप सबके साथ बांटना चाहता हूँ ........
पैसे की हवस ने जगाया, मन मे जब असन्तोष,
उचित – अनुचित का रहा ना मानव को तब होश।
बाजार में फल स्वरूप लड़के लगे बिकने,
लड़कों का मूल्य लगा दिनों दिन बढ़ने॥
कीमत को सुनकर लड़की का बाप घबराया,
देख दशा उसकी वर का पिता मुस्कुराया।
इस बीच नियति ने कुछ खेल ऐसे दिखाएँ,
वर के पिता को दिन में तारे नजर आए॥
चेहरे का सफ़ेद रंग लिए पुत्र तभी आया,
साथ में था अपने जो एक पत्र लाया।
पढ़ पढ़ कर आने लगी उसको मूर्छा,
कन्या के पिता ने कारण इसका पूछा॥
बेटे ने कहा बहन का रिश्ता गया छुट,
चाहते है लड़के वाले लेना हमको लूट।
लड़की के बाप को मिल गया सुनहरा अवसर,
बोला एक नहीं सभी है रक्त चूसने को तत्पर॥
कहकर इतनी बात लगा वो वहाँ से जाने,
बेटी के लिए अन्यत्र भाग्य आजमाने।
पर लड़के का पिता अब समझ चुका था,
अपने बुने जाल में स्वयं उलझ चुका था॥
दहेज की जिस अग्नि को था उसने स्वयं लगाया।
उसी अग्नि में था उसने सुख चैन को जलाया॥
बहुत सुन्दर,
ReplyDeleteमगर काफी दिनों से दूसरी पोस्ट क्यों नहीं लगाई, मित्रवर!